5 Easy Facts About bhoot ki kahani Described

Bhoot ki kahani

शांताबहन की सलाह मान कर पमिनाबहन और उसका परिवार हिम्मत जोड़ कर रुकने का फेसला कर लिया। और उसके बाद घर पर होने वाली असामान्य घटनाओं को नज़रअंदाज़ करना शुरू कर दिया। ऐसा करने पर दिन प्रति दिन असामान्य गतिविधियां घटने लगीं और पमिनाबहन के परिवार का जीवन सामान्य होने लगा।

और अपने अपने मन में महामृत्युंजय का जाप करने लगे। टीचर ने बोला कि यहां पर कोई बातचीत नहीं करेगा। जब तक कि सुबह ना हो जाए । हम लोग एक हफ्ते के बाद पिकनिक से लौटकर । जब स्कूल में सबसे मिले । तो यह घटना सबको बता दी ।

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राम और सोनू ने श्राप तोड़ने और कुत्ते को बचाने का फैसला किया। उन्हें पता चला कि ऐसा करने का एकमात्र तरीका गुफा की गहराई में छिपी एक पहेली को सुलझाना था। अपने दिमाग का इस्तेमाल करके उन्होंने पहेली को समझ लिया और कुत्ते को उसकी पीड़ा से मुक्त करते हुए अभिशाप को तोड़ दिया।

एक दिन वह लड़की वहां पर नहीं दिखाई दी।तो मैं सोच में पड़ गया। ऐसा क्या हुआ जो वह लड़की आज नहीं आई । फिर मैं अपने घर की तरफ निकल पड़ा। एक हफ्ते बाद मेरे घर पर एक चिट्ठी आई और मुझे पता चल गया था कि यह चिट्ठी उसकी ही है। उसमें उसका नाम प्रीति लिखा हुआ था।और उसमें से एक फोटो निकली थी। जो कि उसी लड़की की थी। मैं चौक गया की उसे मेरा पता कैसे चला।

लेखक – अजीत मिश्रा बात कुछ वर्ष पहले की हैं, मुझे नागपुर जाना पड़ा, मेरी बुआ के बड़ी बेटी की शादी थी, शादी का पूरा […]

चालाक चिड़िया ने कैसे एक आदमी को बेवक़ूफ़ बनाया और दिया जीबन के तीन अनमोल सीख

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इंदौर मध्य प्रदेश के सबसे अधिक आबादी वाला और सबसे बड़ा शहर है। साथ ही यह इंदौर जिला और इंदौर डिवीजन दोनों के मुख्यालय के […]

दिन प्रति दिन अजीब-अजीब घटनाएँ बढ्ने लगी, और पूरा परिवार खौफ में जीने लगा। पमिनाबहन के परिवार ने पाठ पूजा, मंत्र हवन, करने से ले कर ओझा, ज्योतिष, सभी के दरवाजे खटखटाये पर पारलौकिक भुतहा घटनाएँ घटने की वजाये बढ्ने लगीं।

बहुत पहले की बात है,कोई पचास साल पहले राजस्थान के किसी गांव में एक चरवाहा रहता था। वह कुछ अपनी, कुछ दूसरों की भेड़ बकरियां चरा कर गुजारा करता था। खेती उसके पास थी तो किन्तु बस नाम ...

लेकिन जब से मेरी मां के साथ ऐसा हादसा हुआ था । तब से मां को थोड़ी भूलने की बीमारी और थोडी डरने की बीमारी हो गई ।और एक कमरे में बंद रहने लगी । क्योंकि बाहर अभी भी चाची की आत्मा दिखाई देती है । लोग बोलते हैं कि यह असत्य है। लेकिन जिसके ऊपर बीतती है । वही जानता है । bhoot ki kahaniya

रमेश छलावे का नाम सुनकर बुरी तरह से कांप उठा। वह जल्दी से स्टेशन से भागने लगा। प्रसाद ने उसे समझाया कि ऐसे भागने से कोई फायदा नहीं है। बस इन सबका एक ही इलाज है कि जब भी तुम्हारा ध्यान अपनी तरफ खींचने की कोशिश करें तो तुम्हें इन पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देना है और छलावे से बातें तो बिल्कुल भी नहीं अपनी आंखें मली। उसे फिर भी वह आदमी धुंधला ही दिखाई दे रहा था।

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